#मूल साधकों को बाहर कर पुजारी, आचार्य, न्यासी के परिजनों को किया जा रहा है शामिल
*103 भक्तों को तय सूची में से सिर्फ 19 ब्राह्मणों का नाम तय कर पीठ में जातिवाद का जहर घोला जा रहा है*
*वर्ष 2007 से दीक्षा की बाट जो रहे साधकों में नाराजगी*
#नाराज साधकों ने की न्यास मंडल भंग करने की मांग#
दतिया : विश्व प्रसिद्ध दतिया पीतांबरा पीठ विवादों में है, मामला यहां साधकों की शाक्त दीक्षा का। दीक्षा में मंदिर के न्यासियों, पुजारियों, प्रबंधक ओर आचार्यों के परिजनों और नजदीकियों को ही शामिल किया गया है। जबकि 100 से अधिक साधकों को दीक्षा देने का प्रस्ताव विगत वर्ष पारित किया गया था।
इस दीक्षा समारोह को लेकर सबसे अधिक विवाद जातिवाद को बढ़ावा देने के आरोपों से जुड़ा हुआ है। साधकों का कहना है कि दतिया पीठाधीश्वर स्वामी जी महाराज एवं मां पीतांबरा के साधक सभी जाति के लोग है और पूर्व में तय सूची में सभी साधकों नाम थे लेकिन दतिया में ऐसा पहली बार हो रहा है कि साधकों की तय सूची को दरकिनार कर सिर्फ 19 ब्राह्मणों को ही दीक्षा दिया जाना तय हुआ। जिसके चलते माई के साधकों में भारी नाराजगी है। मां पीतांबरा भक्त मंडल नाराज साधक न्यास मंडल को भंग करने की मांग कर रहे है।
जाने माने अधिवक्ता ओर मां पीतांबरा के साधक श्री गिरीश गुप्ता का कहना है विवाद दीक्षा विधि विधान को लेकर नहीं है विवाद प्रबंध मंडल न्यासा मंडल आचार्य मंडल द्वारा जो अलोकतांत्रिक तरीके से दीक्षा कराई है उसको लेकर है। वर्ष 2007 के बाद दीक्षा के लिए सभी साधकों द्वारा कई वर्षों से संघर्ष किया जा रहा था दीक्षा के लिए आवेदन मांगे गए शपथ पत्र मांगे गए तथा वरिष्ठता कृम को ध्यान में रखते हुए 103 साधकों की सूची बनी दो बार दीक्षा के लिए तारीख दी गई फिर अपरिहार्य कारण बताकर निरस्त कर दी गई फिर नये पूजा प्रभारी का उदय हुआ कई किताबें संस्कृत का ज्ञान विषय अंतर्गत जोड़े गए साक्षात्कार हुए पुनः साक्षात्कार हुए अपूर्ण रहे पुनः नवंबर 2024 में साक्षात्कार लिए जाने हेतु तारीख दिया जाना कार्यालय द्वारा सूचित किया गया फिर अचानक गुपचुप तरीके से 8 मई 2025 को प्रबंधक ने सूची जारी की और 12 मई को दीक्षा हो गई, प्रश्न यह था की 19 लोगों की सूची बनाए जाते समय कौन से मापदंड अपनाए गए 20वां व्यक्ति बिना आवेदन बिना लिस्ट में नाम के दीक्षा ले गया प्रश्न यह भी है की मनमानी धोखा षड्यंत्र कर माई - महाराज के भक्तों को
(गुरु भाइयों) के मध्य झगड़ा फसाद करना आपस में टकराव करना और गुरु भाइयों को बांट के पीठ पर दीक्षा करना उचित नहीं हम आपकी दीक्षा से दुखी नहीं है हम तो केवल यह बताना चाहते हैं की बाटो और राज करो इस सिद्धांत ने हमारे देश को वर्षों गुलाम रखा इस तरह की चालाकी और चतुराई से पीठ को नष्ट मत करो यह पीठ हमारे पूज्य पर श्री स्वामी महाराज का पीठ है राष्ट्र में 8 मई से 11 मई के बीच युद्ध की स्थिति चल रही थी उसे विषय पर न सोचते हुए गुपचुप दीक्षा करना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है इसके विषय में खुलेआम चर्चा और परिणाम दोनों सामने आना चाहिए।
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